नागाबाबा ठाकुरबाड़ी में रामलीला मंचन के सातवें दिन मंत्री सुमंत को श्री राम वापस अयोध्या भेजते हैं और केवट से नदी पार कराने के लिए कहते हैं। केवट भी उनसे भवसागर पार कराने का वचन लेता है।
श्रीराम, लक्ष्मण और सीता से मंत्री सुमंत अयोध्या लौटने का अनुरोध करते हैं। वे कहते हैं महाराज दशरथ ने उनसे कहा था कि 14 वर्ष की जगह 14 दिन के वनवास के बाद आपको अपने साथ अयोध्या वापस लेकर आ जाएं। श्रीराम कहते हैं कि ऐसा करना उचित नहीं होगा।
वे पिता की आज्ञा का पालन करेंगे और 14 वर्ष के वनवास के बाद ही अयोध्या वापस जायेंगे। उनकी बात सुनकर मंत्री सुमंत दुखी हो जाते हैं।
प्रभु श्रीराम नदी पार कराने के लिए केवट को बुलाने के लिए कहते हैं। केवट उनके पास आकर कहता है कि आपके चरण रज से शिलारूपी अहिल्या नारी बन गई। मुझे चिंता सता रही है कि मेरी नौका कहीं नारी न बन जाए।
ऐसा होने से उसके परिवार का भरण पोषण बंद हो जाएगा। यही नौका उसकी जीविका का एकमात्र साधन है। ऐसे में जब तक वह पांव पखार नहीं लेगा, तब तक वह प्रभु श्री राम को अपनी नाव पर नहीं चढ़ाएगा। इस पर वे केवट को पांव पखारने के लिए कहते हैं।
नदी पार करने के बाद श्री राम केवट को मजदूरी देना चाहते हैं। केवट यह कहते हुए मना कर देता है कि आज आप मेरे घाट पर आए, तो मैंने आपको पार कराया है। जब मैं आपके घाट आऊं , तो आप मुझे भवसागर से पार करा देना।
केवट की यह बात सुनकर प्रभु राम उसे आशीर्वाद देते हैं। सीता और लक्ष्मण के साथ वे आगे बढ़ जाते हैं।
इधर दुखी मन से मंत्री सुमंत अयोध्या लौट जाते हैं और राजा दशरथ को सारी जानकारी देते हैं। यह सुन दशरथ विलाप करते हुए प्राण त्याग देते हैं। अयोध्या में शोक की लहर दौड़ जाती है।
सातवें दिन रामलीला महोत्सव का उद्घाटन गोल्डमैन ऑफ बिहार प्रेम सिंह और दशहरा कमिटी के अध्यक्ष, संयोजक और सह संयोजक ने किया।