जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर भगवान महावीर का निर्वाणोत्सव पूरे बिहार में एक नवंबर को मनाया जाएगा। इस दिन जैन धर्मावलंबी निर्वाणोत्सव पर लाडू चढ़ाते हैं। साथ ही दीप प्रज्वलित भी करते हैं।
जैन समाज के एमपी जैन ने बताया कि इस साल कार्तिक अमावस्या 31 अक्टूबर की दोपहर से एक नवंबर की संध्या तक है। भगवान महावीर का निर्वाण कार्तिक अमावस्या की सुबह चार बजे पावापुरी में हुआ था।
इस वर्ष कार्तिक अमावस्या की सुबह चार बजे एक नवंबर है। इसलिए जैन धर्मावलंबी एक नवंबर को भगवान महावीर को लाडू चढ़ाकर निर्वाणोत्सव मनाएंगे।
जैन धर्मावलंबियों का मानना है कि भगवान महावीर के निर्वाण के दिन ही शाम को भगवान महावीर के पहले शिष्य गौतम गणधर स्वामी को कैवल्यज्ञान की प्राप्ति हुई थी। तब देवताओं ने प्रकट होकर गंधकुटी की रचना की और गौतम स्वामी एवं कैवल्यज्ञान की पूजा करके दीपोत्सव का महत्व बढ़़ाया।
इस उपलक्ष्य में सभी जैन बंधु कार्तिक अमावस्या की शाम दीप जलाकर नई बही खातों का मुहूर्त करते हुए भगवान गणेश और लक्ष्मी की पूजा करते हैं।
जैन धर्म में माना जाता है कि बारह गणों के अधिपति गौतम गणधर ही भगवान गणेश हैं, जो सभी विघ्नों के नाशक हैं। उनके कैवल्य ज्ञान की विभूति की पूजा ही महालक्ष्मी की पूजा है।
एमपी जैन बताते हैं कि जैन धर्मावलंबी भगवान महावीर के संदेश जियो और जीने दो को जन-जन तक पहुंचाने के लिए प्रति वर्ष कार्तिक अमावस्या को दीपक जलाते हैं। मंदिर, भवन, कार्यालय एवं बगीचों को सजाया जाता है।
भगवान महावीर से कृपा प्रसाद प्राप्ति के लिए लड्डू का नैवेद्य अर्पित करते हैं। इसे निर्वाण लाडू कहा जाता है। भगवान महावीर के उपदेशों पर चलते हुए जैन धर्म के लोग दीपावली पर पटाखे नहीं जलाते हैं।
बिहार दिगंबर जैन तीर्थ क्षेत्र कमिटी के सचिव पराग जैन ने बताया कि भगवान महावीर की निर्वाण स्थली पावापुरी में निर्वाण लाडू चढ़ाने पटना से बड़ी संख्या में श्रद्धालु पावापुरी जलमंदिर पहुंच रहे हैं। वहां सबके लिए व्यवस्था की गई है।