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मखाना की मांग के अनुसार करना होगा क्षेत्र विस्तार

बिहार में पूरे भारत का 85 प्रतिशत मखाना का उत्पादन होता है। इसके बावजूद मांग के अनुसार मखाना पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध नहीं है। वर्तमान में उत्तर बिहार के ही कुछ जिलों में मखाना की खेती होती है। जिन जिलों में खेती नहीं हो रही है, वहां मखाना का क्षेत्र विस्तार करना होगा। इसका निर्यात यूरोपियन देश, अमेरिका और खाड़ी देशों में भी हो रहा है। 

कृषि सचिव संजय कुमार अग्रवाल ने मखाना पर एक दिवसीय कार्यशाला में ये बातें कहीं। पटना के बामेती सभागार में आयोजित कार्यशाला में दरभंगा, मधुबनी, सहरसा, मधेपुरा, सुपौल, कटिहार, पूर्णियां, किशनगंज, अररिया एवं खगड़िया जिलों के मखाना उत्पादक किसानों ने भाग लिया।

कृषि सचिव ने कहा कि मखाना की खेती को बढ़ावा देने के लिए सेंटर ऑफ एक्सीलेंस की स्थापना भोला पासवान शास्त्री कृषि महाविद्यालय, पूर्णियां में की जा रही है। वर्तमान में मखाना की खेती तालाब एवं खेत पद्धति से हो रही है। वैज्ञानिक पद्धति से मखाना के क्षेत्र विस्तार की काफी संभावनाएं है। 

कृषि विभाग के सर्वे के अनुसार राज्य में मखाना उत्पादक किसानों की संख्या 9777 है। इनमें 829 किसान तालाब प्रणाली, 8871 खेत प्रणाली और 77 किसान दोनों प्रणाली से मखाना की खेती कर रहे हैं। उन्होंने किसानों को मखाना का बीज हर दो साल पर बदलने का सुझाव दिया। सरकार बीज के मूल्य पर 75 प्रतिशत या 5400 रुपये प्रति हेक्टेयर की दर से अनुदान दे रही है। 

उन्होंने बताया कि राज्य में चयनित एक्सपोर्ट ओरियेंटेड सात सेक्टर्स में मखाना को भी शामिल किया गया है। इसके अंतर्गत मखाना प्रोसेसिंग को बढ़ावा देने के लिए बिहार कृषि निवेश प्रोत्साहन नीति वर्ष 2020 में शुरू की गई है। इस नीति के तहत प्रोसेसिंग के क्षेत्र में प्रोत्साहन के लिए अनुदान का प्रावधान है। 
 


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