बिहार में स्मार्ट मीटर लगाने में हो रही गड़बड़ी के विरोध में राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) एक अक्टूबर को पूरे राज्य में व्यापक प्रदर्शन करेगा। प्रखंड मुख्यालयों पर धरना एवं प्रदर्शन होगा।
आरजेडी का कहना है कि स्मार्ट मीटर लगाने पर तुरंत रोक लगनी चाहिए। जनता की परेशानी को देखते हुए थर्ड पार्टी रिव्यू कमिटी का गठन हो ताकि स्मार्ट मीटर की खामियां सामने आ सके।
आरजेडी के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह का कहना है कि अडानी एनर्जी सॉल्यूशन प्राइवेट लिमिटेड और नागार्जुन कंस्ट्रक्शन जैसी कंपनियों को फायदा पहुंचाने के लिए बिहार राज्य बिजली बोर्ड का विखंडन किया गया। इन कंपनियों ने 58 लाख स्मार्ट मीटर लगाने का एग्रीमेंट नॉर्थ बिहार पावर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी से किया है।
मार्च 2025 तक सभी घरों में स्मार्ट मीटर लगाने का लक्ष्य है। अधिकारी जबरन स्मार्ट मीटर लगा रहे हैं। उपभोक्ताओं को पुराने मीटर की तुलना में स्मार्ट मीटर से बढ़ा हुआ बिल मिल रहा है। सरकारी तंत्र पर खर्च की गई राशि कंपनियां उपभोक्ताओं से वसूल रही हैं।
प्रदेश अध्यक्ष ने बताया कि अब तो पूरे गांव की ही बिजली काटी जा रही है। बिहार में लगभग 2.76 करोड़ हाउस होल्ड हैं। स्मार्ट मीटर की खराबी के कारण अगर उपभोक्ताओं से प्रतिमाह 100 रुपये भी अधिक वसूली जाती है, तो यह राशि लगभग 276 करोड़ प्रत्येक महीने होगी। यह कंपनी का अलग से मुनाफा होगा।
बिहार के अलावा कई राज्यों में भी स्मार्ट मीटर लगाये गये हैं, लेकिन उपभोक्ताओं को सहूलियत कम और शिकायतें अधिक हैं।
केरल सरकार इस योजना से अलग हो गई है। महाराष्ट्र सरकार ने शिकायतों के बाद फिलहाल स्मार्ट मीटर लगाने पर रोक लगा दी है। गुजरात में भी इसका विरोध हो रहा है। गुजरात ऊर्जा विकास निगम ने कहा कि जबरदस्ती स्मार्ट मीटर नहीं लगाया जाएगा।
जगदानंद सिंह ने कहा कि विपक्ष में होने के कारण हमारा फर्ज बनता है कि जनता की कठिनाइयों को लेकर सड़क से सदन तक जाएं। स्मार्ट मीटर की परेशानियों से जनता को राहत दिला सकें।