बिहार में ‘पीला सोना’ के नाम से मशहूर मक्का फसल चक्र सुधारने में मददगार हो रहा है। दक्षिण बिहार में बारिश कम होने के कारण यहां धान की रोपाई और कटाई देर से होती है। इसका असर रबी मौसम में गेहूं की ऊपज पर पड़ता है।
कृषि विभाग के सचिव संजय कुमार अग्रवाल का कहना है कि जलवायु परिवर्तन के दौर में मक्के की खेती से फसल चक्र ठीक करने में सहायता मिल रही है। साथ ही किसानों को आर्थिक लाभ भी हो रहा है।
जलवायु अनुकूल कृषि कार्यक्रम का लाभ कटिहार जिला के कोढ़ा प्रखंड के किसान ले रहे हैं। जिले में लगभग 450 एकड़ में मेढ़ पर मक्के की खेती की गई है। मुसापुर गांव के किसान प्रदीप कुमार चौरसिया ने उन्नत तकनीक अपनाते हुए मेढ़ पर मक्के की खेती की।
इस वर्ष प्रति हेक्टेयर लगभग 112 क्विंटल मक्का का उत्पादन हुआ। प्रदीप को एक हेक्टेयर में 1.58 लाख का शुद्ध मुनाफा हुआ। पिछले साल फ्लैट बेड पर खेती करने से प्रति हेक्टेयर करीब 98 क्विंटल मक्का का ही उत्पादन हुआ था।
कृषि सचिव ने बताया कि राज्य सरकार किसानों को मक्का की खेती के लिए प्रोत्साहित कर रही है। समय-समय पर मेढ़ पर मक्के की खेती के लिए प्रशिक्षण एवं बीज भी उपलब्ध कराया जाता है। साथ ही मशीन का खर्च एवं कीटनाशक भी दिया जाता है।