विश्व मृदा (मिट्टी) दिवस पर कृषि मंत्री मंगल पांडेय ने कहा कि खेती में रासायनिक खाद एवं अन्य रसायन का अधिक प्रयोग हो रहा है, लेकिन मिट्टी के स्वास्थ्य के लिए उपाय नहीं हो रहे हैं।
हमारे पूर्वज खेती के साथ मिट्टी की ऊर्वरा शक्ति का भी ख्याल रखते थे। वे इसके लिए गोबर और हरी खाद का प्रयोग, रबी फसल की कटाई के बाद खेतों की गहरी जुताई,दलहन फसलों की खेती एवं खेत को एक फसल के बाद खाली छोड़ना जैसे काम करते थे।
पटना के बामेती में एक कार्यक्रम में कृषि मंत्री ने कहा कि मुख्यमंत्री के निर्देश पर वित्तीय वर्ष 2024-25 में पांच लाख मिट्टी नमूनों की जांच का लक्ष्य है।
अब तक 4,17,789 मिट्टी नमूनों का संग्रह हो चुका है। 2,87,672 मिट्टी स्वास्थ्य कार्ड किसानों को वितरित किये जा चुके हैं। हमें प्रण लेना चाहिए कि सभी किसान खेतों में संतुलित उर्वरक का प्रयोग करें। मिट्टी का स्वास्थ्य ठीक रहने पर हमारा स्वास्थ्य भी ठीक रहेगा। परंपरागत पद्धति के अनुरूप खाद का प्रयोग करें।
जिला स्तर पर 38 मिट्टी जांच प्रयोगशाला, प्रमंडल स्तर पर 9 चलंत प्रयोगशाला एवं मिट्टी जांच की गुणवत्ता के नियंत्रण के लिए तीन रेफरल प्रयोगशालाएं कार्यरत हैं। मिट्टी नमूनों के संग्रहण की जिम्मेदारी प्रखंड कृषि पदाधिकारी,कृषि समन्वयक एवं किसान सलाहकार की है।