भारत जीनोम किस्म के चावल को विकसित करने वाला दुनिया का पहला देश बन गया है। केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने पहले दो जीनोम चावल डीआरआर धान 100 (कमला) और पूसा डीएसटी की घोषणा की। इस मौके पर नई दिल्ली स्थित भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) परिसर में दोनों किस्म के अनुसंधान में योगदान देने वाले वैज्ञानिकों को सम्मानित किया गया।
केंद्रीय कृषि मंत्री ने वैज्ञानिक और किसानों को संबोधित करते हुए कहा कि इन नई फसलों के विकसित होने से उत्पादन क्षमता बढ़ेगी। सिंचाई के लिए पानी की बचत और ग्रीनहाउस गैस के उत्सर्जन से पर्यावरण पर असर भी कम होगा।
हमें माइनस 5 और प्लस 10 के फॉर्मूले को अपनाते हुए काम करना होगा। इस फॉर्मूले का मतलब है 5 मिलियन (50 लाख) हेक्टेयर चावल का एरिया कम करना और 10 मिलियन (एक करोड़) टन चावल का उत्पादन उतने क्षेत्र में बढ़ाना है। इन प्रयासों से खाली जमीन में दलहन और तिलहन की खेती की जाएगी।
कृषि मंत्री ने कहा कि हमें भारत को फूड बास्केट बनाने के ख्याल से काम करना होगा। हमारे वैज्ञानिक बधाई के पात्र हैं। उनके प्रयासों का ही परिणाम है कि आज हम 48 हजार करोड़ का बासमती चावल निर्यात कर रहे हैं।
कार्यक्रम में कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के सचिव देवेश चतुर्वेदी, आईसीएआर के महानिदेशक डॉ मांगी लाल जाट, आईसीएआर के उप महानिदेशक डॉ देवेंद्र कुमार यादव, भारतीय चावल अनुसंधान संस्थान, हैदराबाद के निदेशक डॉ आर.एम.सुंदरम, आईसीएआर के निदेशक डॉ सीएच श्रीनिवास राव और उप निदेशक डॉ विश्वनाथन भी शामिल रहे।