केंद्र सरकार ने आगामी जनगणना में जाति गणना भी शामिल करने का निर्णय लिया है। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 246 के अनुसार जनगणना केंद्र का विषय है। कुछ राज्यों ने जाति गणना के लिए सर्वेक्षण किया है, लेकिन इसके उद्देश्य अलग-अलग रहे हैं।
कुछ सर्वेक्षण राजनीति के ख्याल से हुए हैं, जिससे समाज में दुविधा उत्पन्न हुई है। इन सभी स्थितियों को ध्यान में रखते हुए अलग-अलग सर्वेक्षणों की जगह मुख्य जनगणना में ही जाति जनगणना कराने का निर्णय केंद्रीय मंत्रिमंडल की राजनीतिक मामलों की समिति ने लिया है।
देश की आजादी के बाद से अब तक की सभी जनगणनाओं में जाति को बाहर रखा गया है। वर्ष 2010 में तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह ने लोकसभा में कहा था कि जाति जनगणना कराने के मुद्दे पर कैबिनेट में विचार किया जाएगा। इस विषय पर विचार-विमर्श के लिए मंत्रियों का एक समूह भी बना था।
अधिकतर राजनीतिक दलों ने जातिवार जनगणना की सिफारिश की थी। इसके बावजूद सामाजिक-आर्थिक और जाति जनगणना सर्वेक्षण का विकल्प चुना गया।