भागलपुर जिला के सबौर प्रखंड स्थित कृषि विज्ञान केंद्र (केवीके) का धान कैफेटेरिया आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। इसमें धान की 23 किस्में प्रदर्शित की गयी हैं। अधिकतर किस्म बिहार कृषि विश्वविद्यालय (बीएयू) सबौर ने विकसित की है।
धान कैफेटेरिया का मुख्य उद्देश्य किसानों को धान की विभिन्न किस्म की जानकारी देना और खेती में अपनाने के लिए प्रेरित करना है। धान की 13 किस्मों से उत्पादन शुरू हो चुका है और 10 पर अनुसंधान जारी है। सभी किस्में जलवायु परिवर्तन के अनुकूल और उच्च गुणवत्ता वाली पैदावार देने में सक्षम हैं।
सबौर कृषि विज्ञान केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ राजेश कुमार का कहना है कि धान की नई किस्में उत्पादन बढ़ाने और किसानों की आय बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं।
कृषि वैज्ञानिक डॉ मनीष राज ने बताया कि इन किस्मों को अधिक उत्पादन, रोग प्रतिरोधक क्षमता और कम पानी की आवश्यकता के आधार पर तैयार किया गया है। इस कैफेटेरिया के माध्यम से हम किसानों को नई किस्मों से परिचित करा रहे हैं।